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बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2634
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 गृहविज्ञान

प्रश्न- केन्द्रक के विभिन्न घटकों के नाम बताइये। प्रत्येक के कार्य का भी वर्णन कीजिए।

अथवा
केन्द्रक, केन्द्रक कला तथा न्यूक्लिओलस के कार्यों का वर्णन कीजिए।

उत्तर-

केन्द्रक
(Nucleus)

रॉबर्ट ब्राउन (Robert Brown) ने सर्वप्रथम सन् 1831 में कोशिका में केन्द्रक की उपस्थिति का पता लगाया था। केन्द्रक कोशिका का सबसे अधिक महत्वपूर्ण भाग है क्योंकि यह कोशिका की समस्त उपापचयी क्रियाओं का नियमन करता है। इसमें आनुवंशिक पदार्थ अर्थात् डी.एन.ए. पाया जाता है। इसीलिए इसे सभी आनुवंशिक लक्षणों का नियंत्रण केन्द्र माना जाता है। बीलर (Belar) के अनुसार कोशिका विभाजन में कोशिका में कोशिकाद्रव्य के जिस भाग से गुणसूत्र का निर्माण होता है, वह भाग कोशिका का केन्द्रक कहलाता है। कोशिका विज्ञान की वह शाखा जिसके अन्तर्गत केन्द्रक का अध्ययन किया जाता है, उसे कैरियोलॉजी कहते हैं।

प्रत्येक कोशिका के जीवनकाल में इसकी दो अवस्थाएँ होती हैं -

1. इण्टरफेज या उपपाचयी प्रावस्था - यह कोशिका की विश्रामी अवस्था होती है। इस अवस्था के अन्तर्गत कोशिका में केन्द्रक तथा कोशिकाद्रव्य का कोई विभाजन नहीं होता है। केन्द्रक और कोशिकाद्रव्य काफी सक्रिय अवस्था में रहते हैं। केन्द्रक की इस प्रावस्था को इण्टरफेज केन्द्र कहते हैं। केन्द्रक की रचना जानने के लिए सामान्यतः कोशिका की इण्टरफेज प्रवास्था का अध्ययन किया जाता है।

2. माइटोटिक प्रावस्था - यह प्रवास्था कोशिका विभाजन के समय दिखाई देती है। इस प्रावस्था में कोशिका का केन्द्रक तथा कोशिकाद्रव्य विभाजन की स्थिति में होता है।

केन्द्रक की स्थिति विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में भिन्न-भिन्न होती है, परन्तु एक ही ऊतक की कोशिकाओं में इसकी स्थिति निश्चित होती है। एडीपोज ऊतक की कोशिकाओं में यह प्लाज्मा झिल्ली के समीप स्थित होता है, जबकि भ्रूणीय कोशिकाओं में यह कोशिका के लगभग मध्य में पाया जाता है। ग्लैन्डुलर ऊतक की कोशिकाओं में यह कोशिका के आधार के समीप स्थित रहता है। सभी सुकेन्द्रकीय ३ (यूकैरियोटिक) कोशिकाओं में केन्द्रक सुविकसित होता है। प्रत्येक जटिल सुकेन्द्रकीय कोशिका में प्रायः एक ही केन्द्रक पाया जाता है, लेकिन कुछ कोशिकाओं में यह दो या दो से अधिक संख्या में भी होते हैं।

केन्द्रक की आकृति कोशिकाओं के प्रकार के अनुसार भिन्न भिन्न होती है। साधारणतः यह कोशिकाओं में अपनी इण्टरफेज प्रावस्था में गोलाकार होता है लेकिन यह पूर्णतया अनियमित आकार का भी हो सकता है, जैसे श्वेत रुधिर कणिकाओं में बेलनाकार तथा प्रिज्मेटिक कोशिकाओं में यह इलिप्टिकल तथा स्क्वेमस कोशिकाओं में चपटी आकृति का होता है। कुछ कोशिकाओं में यह घोड़े की नाल, शाखित, लैंस तथा पाइरीफार्म आकृति का भी पाया जाता है।

केन्द्रक का परिमाण भी इसके आकार की भाँति, भिन्न-भिन्न प्राणियों के ऊतक की कोशिकाओं में भिन्न-भिन्न होता है। इसके अतिरिक्त एक ही जीव की विभिन्न कोशिकाओं में तथा एक ही कोशिका की विभिन्न अवस्थाओं में भी केन्द्रक का परिणाम अलग-अलग होता है। जन्तु कोशिकाओं में सबसे छोटे केन्द्रक प्रायः 0.5p व्यास के तथा सबसे लम्बे लगभग 1mm तक के पाये जाते हैं।

संरचना - कोशिका में केन्द्रक की रचना अत्यन्त जटिल होती है। कोशिका की इण्टरफेज अवस्था में इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा अध्ययन करने पर केन्द्रक में निम्नलिखित भाग स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं -

केन्द्रक झिल्ली इस झिल्ली की उपस्थिति के बारे में विवरण सबसे पहले रॉबर्ट ब्राउन ने सन् 1833 में दिया था। इसको कैरियोथीका भी कहते हैं। यह झिल्ली केन्द्रक के चारों ओर का बाहरी आवरण है जो केन्द्रक के अन्दर स्थित केन्द्रकद्रव्य को कोशिकाद्रव्य से अलग करती है अर्थात् यह कोशिका को अन्दर से दो भागों में विभक्त करता है बाहरी कोशिकाद्रव्य का भाग तथा भीतरी केन्द्रकद्रव्य का भाग। यह स्वभाव में सेमीपरमिएबल होती है तथा इसी के द्वारा केन्द्रक तथा कोशिकाद्रव्य के मध्य भोज्य पदार्थ का आदन प्रदान होता है।

केन्द्रक झिल्ली के कार्य

केन्द्रक झिल्ली के निम्नलिखित कार्य हैं-

(i) यह झिल्ली केन्द्रक की आकृति तथा परिमाण को नियंत्रित करती है तथा कोशिकाद्रव्य एवं केन्द्रकद्रव्य के मध्य एक भौतिक सीमा का निर्माण करती है।

(ii) यह कुछ कोशिका-अंगकों का इनवैजिनेशन के द्वारा निर्माण करती है।

(iii) केन्द्रक झिल्ली छिद्र द्वारा कोशिकाद्रव्य और केन्द्रकद्रव्य के मध्य बड़े आकार के अणुओं के आदान-प्रदान को नियंत्रित करती है, जैसे केन्द्रक में निर्मित एम.आर.एन.ए. इन छिद्रों के द्वारा कोशिकाद्रव्य में पहुँचता है, जहाँ यह प्रोटीन संश्लेषण में राइबोसोम के साथ भाग लेता है।

2. केन्द्रकद्रव्य या कैरियोलिम्फ - कोशिका में केन्द्रक झिल्ली के अन्दर कोशिकाद्रव्य की तरहएक पारदर्शी एसिडोफिलिक द्रव भरा रहता है, जिसे केन्द्रकद्रव्य कहते हैं। इसमें क्रोमेटिन धागों का जाल तथा न्यूक्लिओलस पाये जाते हैं। केन्द्रकद्रव्य का रासायनिक संघटन अत्यन्त जटिल होता है, यह मुख्य रूप से न्यूक्लियो प्रोटीन्स का बना होता है। इसमें अनेक एन्जाइम्स जैसे राइबोन्युक्लिऐज फॉस्फाटेज तथा डाइपेप्टाइडेज पाये जाते हैं। इनके अतिरिक्त इसमें न्यूक्लिक अम्ल, खनिज लवण तथा लिपिड्स इत्यादि भी पाये जाते हैं।

3. क्रोमेटिन धागे - केन्द्रकद्रव्य में अनेक महीन धागे अनियमित जालक के रूप में पाये जाते हैं। इन धागों को क्रोमेटिन धागे या क्रोमेनिमेटा और इनके जाल को क्रोमेटिन जाल कहते हैं। इन धागों का ब्यास 40Á से 150Â तक होता है। ये क्रोमैटिन धागे कोशिका के केन्द्रक में केवल इण्टरफेज प्रावस्था में ही दिखाई देते हैं। ये ही क्रोमेटिन धागे कोशिका विभाजन के समय संकुचित होकर गुणसूत्र में परिवर्तित हो जाते हैं। कोन (Cohn 1964) के अनुसार क्रोमेटिन धागे केन्द्रक की इण्टरफेज प्रावस्था में दिखाई देने वाली वह रचना है जो कोशिका विभाजन के समय गुणसूत्र में परिवर्तित हो जाती है। क्रोमेटिन दो प्रकार के होते हैं -

(i) यूक्रोमेटिन - इण्टरफेज प्रावस्था में यह केन्द्रक में जालक के रूप में रहता है। कोशिका विभाजन के समय यह संघनित हो जाता है तथा कोशिका विभाजन की टीलोफेज प्रावस्था में पुनः यह धागों के रूप में फैल जाता है। यह क्षारीय रंजकों द्वारा रंजित होता है। यह आनुवंशिक रूप से सक्रिय पदार्थ है जिसमें डी.एन.ए. काफी मात्रा में होता है।

(ii) हेटरोक्रोमेटिन - यह क्रोमेटिन के वे क्षेत्र हैं जो कोशिका विभाजन की हर प्रावस्था में संघनित रहते हैं तथा गहरे रंग के क्षेत्र के रूप में स्पष्ट दिखाई देते हैं अर्थात् इण्टरफेज तथा प्रोफेज प्रावस्थाओं में संघनित हो जाते हैं किन्तु यूक्रोमेटिन की भाँति टीलोफेज प्रावस्था में खुलते नहीं हैं। हेटरोक्रोमेटिन न्यूक्लिओलस के चारों ओर तथा परिधि पर पाई जाती है। इसमें डी.एन.ए. थोड़ी मात्रा में तथा आर.एन.ए. अधिक मात्रा में पाया जाता है।

4. न्यूक्लिओलस - यह केन्द्रक के अन्दर एक बड़ी गोलाकार एवं स्पष्ट रचना है। यह कोशिका की उपापचयी क्रियाओं से सम्बन्धित है। जिन कोशिकाओं में प्रोटीन संश्लेषण की क्रिया सक्रिय रूप में पाई जाती है (जैसे- न्यूरॉन्स तन्त्रिका तथा स्रावी कोशिकाएँ) उनमें यह आकार में अधिक बड़ा होता है लेकिन जिन कोशिकाओं में प्रोटीन संश्लेषण की क्रिया बहुत कम पायी जाती है (जैसे- शुक्राणु पेशी कोशिकाएँ.. इत्यादि), उनमें यह प्रायः अधिक छोटा या अनुपस्थिति होता है। शरीर कोशिकाओं की इण्टरफेज प्रावस्था केन्द्रक में यह स्पष्ट दिखाई देता है।

न्यूक्लिओलस की संख्या अलग-अलग जन्तुओं की कोशिकाओं के केन्द्रक में भिन्न-भिन्न होती है। ये संख्या में एक से तीन तक हो सकती हैं। वास्तव में इनकी संख्या गुणसूत्र की संख्या पर निर्भर करती है। केन्द्रक के अन्दर न्यूक्लिओलस की स्थिति प्रायः निश्चित होती है। अधिकांशतः केन्द्रक में इसकी स्थिति अपकेन्द्रीय होती है।

न्यूक्लिओलस के कार्य

न्यूक्लिओलस के कार्य निम्नलिखित हैं-

(i) आर.एन.ए. का संश्लेषण - राइबोसोमल आर.एन.ए. का संश्लेषण न्यूक्लिओलस में होता है। न्यूक्लिलोस से सम्बद्ध क्रोमेटिन में राइबोसोम डी. एन. ए. या राइबोसोमल जीन होती है जो राइबोसोमल आर. एन. ए. को कोड करता है।

(ii) राइबोसोम की बायोजिनेसिस - न्यूक्लिओलस का मुख्य कार्य राइबोसोम्स के बायोजिनेसिस या उत्पत्ति से सम्बन्धित है जिसके द्वारा यह कोशिकाद्रव्य में प्रोटीन संश्लेषण में सहायता करता है।

(iii) यह कोशिका विभाजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लबिनसेण्ट के अनुसार न्यूक्लिओलस गुणसूत्र में उपस्थित पदार्थों का भण्डार है।

केन्द्रक का रासायनिक संघटन अत्यन्त ही जटिल होता है जिसमें न्यूक्लियो-प्रोटीन्स इसके रासायनिक संघटन के सबसे महत्वपूर्ण भाग का निर्माण करती है। इसमें अनेक प्रकार के अकार्बनिक तथा कार्बनिक रासायनिक पदार्थ पाये जाते हैं जो निम्नलिखित हैं-

1. क्षारीय प्रोटीन्स प्रोटामिन्स तथा हिस्टोन्स सरल क्षारीय प्रोटीन्स हैं जिनका आण्विक भार कम होता है। प्रोटामिन में क्षारीय अमीनो अम्ल आर्जिनीन होता है, जबकि हिस्टोन्स में क्षारीय अमीनो अम्ल लाइसिन तथा आर्जिनीन होते हैं। हिस्टोन्स का आण्विक भार प्रोटामिन्स से कुछ अधिक होता है। ये प्रोटीन्स गुणसूत्रों के पोषण तथा जनन में सहायक होते हैं।

2. अम्ल प्रोटीन्स ये अधिक आण्विक भार वाली प्रोटीन्स हैं जो केन्द्रक की विशिष्ट उपापचयी क्रियाओं में भाग लेती हैं। ये इण्टरफेज केन्द्रक में अधिक पाई जाती हैं। इनमें ट्रिप्टोफेन तथा टाइरोसीन अमीनो अम्ल होते हैं।

3. केन्द्रकीय एन्जाइम्स - एन्जाइम्स केन्द्रक के अत्यन्त महत्वपूर्ण भाग हैं जो स्वभाव में नान- हिस्टोन्स होते हैं। केन्द्रक के अन्दर अनेक एन्जाइम्स पाये जाते हैं, जिनमें मुख्य न्यूक्लिओसाइड फॉस्फोराइलेज, गुआनेज, इस्टरेज, एल्केलाइन फॉस्फाटेज तथा न्यूक्लिओटाइड-फॉस्फाटेज आदि हैं जो केन्द्रक की विभिन्न उपापयी क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।

4. न्यूक्लिक अम्ल - न्यूक्लिक अम्ल केन्द्रक के अधिकांश भाग को बनाते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं राइबोन्यूक्लिक अम्ल (आर.एन.ए.) तथा डी-आक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल (डी.एन.ए.)। केन्द्रक में डी.एन.ए. की मात्रा गुणसूत्रों की संख्या पर निर्भर करती है।

5. लिपिड्स - ये मुख्य रूप से लाइपोप्रोटीन्स तथा फॉस्फोलिपिड्स के रूप में पाये जाते हैं। केन्द्रक में पाये जाने वाले फॉस्फोलिपिड्स गुणसूत्र में पाये जाने वाले फॉस्फोलिपिड से भिन्न होते हैं।

6. अकार्बनिक पदार्थ ये केन्द्रक में कम मात्रा में पाये जाते हैं, लेकिन केन्द्रक की उपापचयी क्रियाओं में इनका काफी महत्व होता है। ये केन्द्रिकाद्रव्य में फॉस्फोरस, पोटैशियम, सोडियम, कैल्शियम तथा मैग्नीशियम यौगिकों के रूप में पाये जाते हैं। क्रोमेटिन में ये केन्द्रिकाद्रव्य की अपेक्षा अधिक मात्रा में उपस्थित होते हैं।

केन्द्रक के कार्य

केन्द्रक कोशिका का मुख्य भाग होता है, इसके कार्य निम्नलिखित हैं-

1. केन्द्रक सभी सुकेन्द्रकीय (यूकैरियोटिक) कोशिकाओं में पाया जाता है। यह कोशिकाओं का मस्तिष्क केन्द्र कहलाता है क्योंकि इण्टरफेज प्रावस्था में यह कोशिकाओं की प्रायः अधिकतर उपापचयी क्रियाओं का नियंत्रण रखता है। इण्टरफेज प्रावस्था में कोशिकाद्रव्य तथा केन्द्रक एक सैमिपरमिएबल झिल्ली के द्वारा अलग-अलग रहते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है, कि इस झिल्ली के द्वारा केन्द्रक तथा कोशिकाद्रव्य के मध्य पदार्थों का आदान-प्रदान होता है जिससे केन्द्रक तथा कोशिकाद्रव्य के बीच एक न्यूक्लियो- साइटोप्लाज्मिक सम्बन्ध बना रहता है जो इण्टरफेज कोशिकाओं की सभी सामान्य उपापचयी क्रियाओं के संचालन के लिए आवश्यक है।

2. केन्द्रक आर. एन. ए. के संश्लेषण को भी नियन्त्रित करता है।

3. यह कोशिका के सभी लक्षणों को बनाये रखता है क्योंकि इसमें आनुवंशिक पदार्थ डी.एन.ए. होता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- पारम्परिक गृह विज्ञान और वर्तमान युग में इसकी प्रासंगिकता एवं भारतीय गृह वैज्ञानिकों के द्वारा दिये गये योगदान की व्याख्या कीजिए।
  2. प्रश्न- NIPCCD के बारे में आप क्या जानते हैं? इसके प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- 'भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद' (I.C.M.R.) के विषय में विस्तृत रूप से बताइए।
  4. प्रश्न- केन्द्रीय आहार तकनीकी अनुसंधान परिषद (CFTRI) के विषय पर विस्तृत लेख लिखिए।
  5. प्रश्न- NIPCCD से आप समझते हैं? संक्षेप में बताइये।
  6. प्रश्न- केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिक अनुसंधान संस्थान के विषय में आप क्या जानते हैं?
  7. प्रश्न- भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  8. प्रश्न- कोशिका किसे कहते हैं? इसकी संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए तथा जीवित कोशिकाओं के लक्षण, गुण, एवं कार्य भी बताइए।
  9. प्रश्न- कोशिकाओं के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- प्लाज्मा झिल्ली की रचना, स्वभाव, जीवात्जनन एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- माइटोकॉण्ड्रिया कोशिका का 'पावर हाउस' कहलाता है। इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  12. प्रश्न- केन्द्रक के विभिन्न घटकों के नाम बताइये। प्रत्येक के कार्य का भी वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- केन्द्रक का महत्व समझाइये।
  14. प्रश्न- पाचन तन्त्र का सचित्र विस्तृत वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- पाचन क्रिया में सहायक अंगों का वर्णन कीजिए तथा भोजन का अवशोषण किस प्रकार होता है?
  16. प्रश्न- पाचन तंत्र में पाए जाने वाले मुख्य पाचक रसों का संक्षिप्त परिचय दीजिए तथा पाचन क्रिया में इनकी भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- आमाशय में पाचन क्रिया, छोटी आँत में भोजन का पाचन, पित्त रस तथा अग्न्याशयिक रस और आँत रस की क्रियाविधि बताइए।
  18. प्रश्न- लार ग्रन्थियों के बारे में बताइए तथा ये किस-किस नाम से जानी जाती हैं?
  19. प्रश्न- पित्ताशय के बारे में लिखिए।
  20. प्रश्न- आँत रस की क्रियाविधि किस प्रकार होती है।
  21. प्रश्न- श्वसन क्रिया से आप क्या समझती हैं? श्वसन तन्त्र के अंग कौन-कौन से होते हैं तथा इसकी क्रियाविधि और महत्व भी बताइए।
  22. प्रश्न- श्वासोच्छ्वास क्या है? इसकी क्रियाविधि समझाइये। श्वसन प्रतिवर्ती क्रिया का संचालन कैसे होता है?
  23. प्रश्न- फेफड़ों की धारिता पर टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- बाह्य श्वसन तथा अन्तःश्वसन पर टिप्पणी लिखिए।
  25. प्रश्न- मानव शरीर के लिए ऑक्सीजन का महत्व बताइए।
  26. प्रश्न- श्वास लेने तथा श्वसन में अन्तर बताइये।
  27. प्रश्न- हृदय की संरचना एवं कार्य का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- रक्त परिसंचरण शरीर में किस प्रकार होता है? उसकी उपयोगिता बताइए।
  29. प्रश्न- हृदय के स्नायु को शुद्ध रक्त कैसे मिलता है तथा यकृताभिसरण कैसे होता है?
  30. प्रश्न- धमनी तथा शिरा से आप क्या समझते हैं? धमनी तथा शिरा की रचना और कार्यों की तुलना कीजिए।
  31. प्रश्न- लसिका से आप क्या समझते हैं? लसिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- रक्त का जमना एक जटिल रासायनिक क्रिया है।' व्याख्या कीजिए।
  33. प्रश्न- रक्तचाप पर टिप्पणी लिखिए।
  34. प्रश्न- हृदय का नामांकित चित्र बनाइए।
  35. प्रश्न- किसी भी व्यक्ति को किसी भी व्यक्ति का रक्त क्यों नहीं चढ़ाया जा सकता?
  36. प्रश्न- लाल रक्त कणिकाओं तथा श्वेत रक्त कणिकाओं में अन्तर बताइए?
  37. प्रश्न- आहार से आप क्या समझते हैं? आहार व पोषण विज्ञान का अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध बताइए।
  38. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए। (i) चयापचय (ii) उपचारार्थ आहार।
  39. प्रश्न- "पोषण एवं स्वास्थ्य का आपस में पारस्परिक सम्बन्ध है।' इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  40. प्रश्न- अभिशोषण तथा चयापचय को परिभाषित कीजिए।
  41. प्रश्न- शरीर पोषण में जल का अन्य पोषक तत्वों से कम महत्व नहीं है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  42. प्रश्न- भोजन की परिभाषा देते हुए इसके कार्य तथा वर्गीकरण बताइए।
  43. प्रश्न- भोजन के कार्यों की विस्तृत विवेचना करते हुए एक लेख लिखिए।
  44. प्रश्न- आमाशय में पाचन के चरण लिखिए।
  45. प्रश्न- मैक्रो एवं माइक्रो पोषण से आप क्या समझते हो तथा इनकी प्राप्ति स्रोत एवं कमी के प्रभाव क्या-क्या होते हैं?
  46. प्रश्न- आधारीय भोज्य समूहों की भोजन में क्या उपयोगिता है? सात वर्गीय भोज्य समूहों की विवेचना कीजिए।
  47. प्रश्न- “दूध सभी के लिए सम्पूर्ण आहार है।" समझाइए।
  48. प्रश्न- आहार में फलों व सब्जियों का महत्व बताइए। (क) मसाले (ख) तृण धान्य।
  49. प्रश्न- अण्डे की संरचना लिखिए।
  50. प्रश्न- पाचन, अभिशोषण व चयापचय में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  51. प्रश्न- आहार में दाल की उपयोगिता बताइए।
  52. प्रश्न- दूध में कौन से तत्व उपस्थित नहीं होते?
  53. प्रश्न- सोयाबीन का पौष्टिक मूल्य व आहार में इसका महत्व क्या है?
  54. प्रश्न- फलों से प्राप्त पौष्टिक तत्व व आहार में फलों का महत्व बताइए।
  55. प्रश्न- प्रोटीन की संरचना, संगठन बताइए तथा प्रोटीन का वर्गीकरण व उसका पाचन, अवशोषण व चयापचय का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- प्रोटीन के कार्यों, साधनों एवं उसकी कमी से होने वाले रोगों की विवेचना कीजिए।
  57. प्रश्न- 'शरीर निर्माणक' पौष्टिक तत्व कौन-कौन से हैं? इनके प्राप्ति के स्रोत क्या हैं?
  58. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण कीजिए एवं उनके कार्य बताइये।
  59. प्रश्न- रेशे युक्त आहार से आप क्या समझते हैं? इसके स्रोत व कार्य बताइये।
  60. प्रश्न- वसा का अर्थ बताइए तथा उसका वर्गीकरण समझाइए।
  61. प्रश्न- वसा की दैनिक आवश्यकता बताइए तथा इसकी कमी तथा अधिकता से होने वाली हानियों को बताइए।
  62. प्रश्न- विटामिन से क्या अभिप्राय है? विटामिन का सामान्य वर्गीकरण देते हुए प्रत्येक का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  63. प्रश्न- वसा में घुलनशील विटामिन क्या होते हैं? आहार में विटामिन 'ए' कार्य, स्रोत तथा कमी से होने वाले रोगों का उल्लेख कीजिये।
  64. प्रश्न- खनिज तत्व क्या होते हैं? विभिन्न प्रकार के आवश्यक खनिज तत्वों के कार्यों तथा प्रभावों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- शरीर में लौह लवण की उपस्थिति, स्रोत, दैनिक आवश्यकता, कार्य, न्यूनता के प्रभाव तथा इसके अवशोषण एवं चयापचय का वर्णन कीजिए।
  66. प्रश्न- प्रोटीन की आवश्यकता को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
  67. प्रश्न- क्वाशियोरकर कुपोषण के लक्षण बताइए।
  68. प्रश्न- भारतवासियों के भोजन में प्रोटीन की कमी के कारणों को संक्षेप में बताइए।
  69. प्रश्न- प्रोटीन हीनता के कारण बताइए।
  70. प्रश्न- क्वाशियोरकर तथा मेरेस्मस के लक्षण बताइए।
  71. प्रश्न- प्रोटीन के कार्यों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- भोजन में अनाज के साथ दाल को सम्मिलित करने से प्रोटीन का पोषक मूल्य बढ़ जाता है।-कारण बताइये।
  73. प्रश्न- शरीर में प्रोटीन की आवश्यकता और कार्य लिखिए।
  74. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स के स्रोत बताइये।
  75. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स का वर्गीकरण कीजिए (केवल चार्ट द्वारा)।
  76. प्रश्न- यौगिक लिपिड के बारे में अतिसंक्षेप में बताइए।
  77. प्रश्न- आवश्यक वसीय अम्लों के बारे में बताइए।
  78. प्रश्न- किन्हीं दो वसा में घुलनशील विटामिन्स के रासायनिक नाम बताइये।
  79. प्रश्न बेरी-बेरी रोग का कारण, लक्षण एवं उपचार बताइये।
  80. प्रश्न- विटामिन (K) के के कार्य एवं प्राप्ति के साधन बताइये।
  81. प्रश्न- विटामिन K की कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
  82. प्रश्न- एनीमिया के प्रकारों को बताइए।
  83. प्रश्न- आयोडीन के बारे में अति संक्षेप में बताइए।
  84. प्रश्न- आयोडीन के कार्य अति संक्षेप में बताइए।
  85. प्रश्न- आयोडीन की कमी से होने वाला रोग घेंघा के बारे में बताइए।
  86. प्रश्न- खनिज क्या होते हैं? मेजर तत्व और ट्रेस खनिज तत्व में अन्तर बताइए।
  87. प्रश्न- लौह तत्व के कोई चार स्रोत बताइये।
  88. प्रश्न- कैल्शियम के कोई दो अच्छे स्रोत बताइये।
  89. प्रश्न- भोजन पकाना क्यों आवश्यक है? भोजन पकाने की विभिन्न विधियों का वर्णन करिए।
  90. प्रश्न- भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ पौष्टिक तत्वों की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? विस्तार से बताइए।
  91. प्रश्न- “भाप द्वारा पकाया भोजन सबसे उत्तम होता है।" इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  92. प्रश्न- भोजन विषाक्तता पर टिप्पणी लिखिए।
  93. प्रश्न- भूनना व बेकिंग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  94. प्रश्न- खाद्य पदार्थों में मिलावट किन कारणों से की जाती है? मिलावट किस प्रकार की जाती है?
  95. प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी उपयोगिता स्पष्ट करो।
  96. प्रश्न- मानव विकास के अध्ययन के महत्व की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
  97. प्रश्न- वंशानुक्रम से आप क्या समझते है। वंशानुक्रम का मानवं विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है?
  98. प्रश्न . वातावरण से क्या तात्पर्य है? विभिन्न प्रकार के वातावरण का मानव विकास पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा कीजिए।
  99. प्रश्न . विकास एवं वृद्धि से आप क्या समझते हैं? विकास में होने वाले प्रमुख परिवर्तन कौन-कौन से हैं?
  100. प्रश्न- विकास के प्रमुख नियमों के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा कीजिए।
  101. प्रश्न- वृद्धि एवं विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन की परिभाषा तथा आवश्यकता बताइये।
  103. प्रश्न- पूर्व-बाल्यावस्था में बालकों के शारीरिक विकास से आप क्या समझते हैं?
  104. प्रश्न- पूर्व-बाल्या अवस्था में क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते हैं?
  105. प्रश्न- मानव विकास को समझने में शिक्षा की भूमिका बताओ।
  106. प्रश्न- बाल मनोविज्ञान एवं मानव विकास में क्या अन्तर है?
  107. प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
  108. प्रश्न- गर्भकालीन विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-सी हैं? समझाइए।
  109. प्रश्न- गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन से है। विस्तार में समझाइए |
  110. प्रश्न- गर्भाधान तथा निषेचन की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए भ्रूण विकास की प्रमुख अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।.
  111. प्रश्न- गर्भावस्था के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
  112. प्रश्न- प्रसव कितने प्रकार के होते हैं?
  113. प्रश्न- विकासात्मक अवस्थाओं से क्या आशर्य है? हरलॉक द्वारा दी गयी विकासात्मक अवस्थाओं की सूची बना कर उन्हें समझाइए।
  114. प्रश्न- "गर्भकालीन टॉक्सीमिया" को समझाइए।
  115. प्रश्न- विभिन्न प्रसव प्रक्रियाएँ कौन-सी हैं? किसी एक का वर्णन कीएिज।
  116. प्रश्न- आर. एच. तत्व को समझाइये।
  117. प्रश्न- विकासोचित कार्य का अर्थ बताइये। संक्षिप्त में 0-2 वर्ष के बच्चों के विकासोचित कार्य के बारे में बताइये।
  118. प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
  119. प्रश्न- नवजात शिशु की पूर्व अन्तर्क्रिया और संवेदी अनुक्रियाओं का वर्णन कीजिए। वह अपने वाह्य वातावरण से अनुकूलन कैसे स्थापित करता है? समझाइए।
  120. प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये |
  121. प्रश्न- शैशवावस्था तथा स्कूल पूर्व बालकों के शारीरिक एवं क्रियात्मक विकास से आपक्या समझते हैं?
  122. प्रश्न- शैशवावस्था एवं स्कूल पूर्व बालकों के सामाजिक विकास से आप क्यसमझते हैं?
  123. प्रश्न- शैशवावस्थ एवं स्कूल पूर्व बालकों के संवेगात्मक विकास के सन्दर्भ में अध्ययन प्रस्तुत कीजिए।
  124. प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
  125. प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
  126. प्रश्न- शैशवावस्था की विशेषताएं क्या हैं?
  127. प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु की शिक्षा के स्वरूप पर टिप्पणी लिखो।
  128. प्रश्न- शिशुकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है।
  129. प्रश्न- शैशवावस्था में मानसिक विकास कैसे होता है?
  130. प्रश्न- शैशवावस्था में गत्यात्मक विकास क्या है?
  131. प्रश्न- 1-2 वर्ष के बालकों के संज्ञानात्मक विकास के बारे में लिखिए।
  132. प्रश्न- बालक के भाषा विकास पर टिप्पणी लिखिए।
  133. प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये।
  134. प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
  135. प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं समझाइये |
  136. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते है। पियाजे के संज्ञानात्मक विकासात्मक सिद्धान्त को समझाइये।
  137. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  138. प्रश्न- दो से छ: वर्ष के बच्चों का शारीरिक व माँसपेशियों का विकास किस प्रकार होता है? समझाइये।
  139. प्रश्न- व्यक्तित्व विकास से आपका क्या तात्पर्य है? बच्चे के व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए।
  140. प्रश्न- भाषा पूर्व अभिव्यक्ति के प्रकार बताइये।
  141. प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
  142. प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें।
  143. प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में खेलों के प्रकार बताइए।
  144. प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?

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